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 Master Circulars - 54 Qualifying Service for Pensionary Purposes (Hindi)

 

 

 मास्टर परिपत्र सं.54 (2019)

आरबीई सं. 170 12019

भारत सरकार / GOVERNMENT OF INDIA

रेल मंत्रालय / MINISTRY OF RAILWAYS

रेलवे बोर्ड / RAILWAY BOARD)

 

सं.2019/एफ (ई)-111/7/1

नई दिल्ली, दिनांक: 14.10.2019

महाप्रबंधक /प्रधान वित्त सलाहकार सभी क्षेत्रीय रेलें/उत्पादन इकाइयां आदि (डाक सूची के अनुसार)

विषयः पेंशनी प्रयोजनों के लिए अर्हक सेवा।

पेंशनी प्रयोजनों के लिए अर्हक सेवा के संबंध में मास्टर परिपत्र सं.54 पिछली बार बोर्ड के दिनांक 30.03.1994 के पत्र सं. एफ (ई) ।।।/93/ मास्टर परिपत्र-2 के तहत प्रकाशित और परिपत्रित किए गए थे। अब रेलवे बोर्ड द्वारा इस विषय पर सभी संबंधितों की सूचना और मार्गदर्शन के लिए समेकित संशोधित मास्टर परिपत्र जारी करने का विनिश्चय किया गया है।

2. इस परिपत्र का उल्लेख करते समय, सही मूल्यांकन के लिए इसमें उल्लिखित मूल पत्रों को पढ़ा जाए। यह परिपत्र अब तक जारी किए गए अनुदेशों का संकलन मात्र है और इसे मूल परिपत्रों के बदले नहीं समझा जाना चाहिए। संदेह की स्थिति में, मूल परिपत्र को प्रामाणिक मानकर उस पर ही भरोसा किया जाए।

3. जब तक संबंधित परिपत्र में विशेष रूप से अन्यथा उल्लेख न किया गया हो, मूल परिपत्रों में अंतर्विष्ट अनुदेश उनके जारी होने की तारीख से प्रभावी होंगे। पुराने मामलों पर कार्रवाई करने के लिए, संबद्ध समय पर लागू अनुदेशों का अवलोकन किया जाए; और

4. इस समेकित परिपत्र को तैयार करते समय, यदि इस विषय पर किसी परिपत्र को, जिसका अधिक्रमण नहीं किया गया है, ध्यान में न लिया गया हो, तो गलती से छूट गए उस पुराने परिपत्र को ही वैध तथा प्रभावी माना जाए। ऐसे छूट गए परिपत्र को, यदि कोई हो, रेलवे बोर्ड के संज्ञान में लाया जाए।

अर्हक सेवा

 

किसी भी रेल सेवक की अर्हक सेवा उस तारीख से आरंभ होगी जिससे वह उस पर कार्यभार ग्रहण करता है जिस पर वह अधिष्ठायी रूप से अथवा स्थानापन्न हैसियत में पहली बार नियुक्त हुआ था।

परन्तु यह तब जब कि स्थानापन्न या अस्थायी सेवा के पश्चात उसी या किसी अन्य सेवा या पद पर अधिष्ठायी नियुक्ति बिना अवरोध के हुई हो।

 

परन्तु यह और कि

 

(क) समूह 'घ' सेवा या पद पर किसी ऐसे रेल सेवक की दशा में, जिसका 17 अप्रैल 1950 से पूर्व कोई धारणाधिकार अथवा निलंबित धारणाधिकार किसी स्थायी पेंशनीय पद पर था सोलह वर्ष की आयु प्राप्त करने से पूर्व की गई सेवा की गणना किसी प्रयोजन के लिए नहीं की जाएगी।

 

(ख) खंड (क) के अंतर्गत न आने वाले किसी रेल सेवक की दशा में अठारह वर्ष की आयु प्राप्त करने से पूर्व की गई सेवा की गणना प्रतिकर उपदान के लिए की जाने के सिवाए नहीं की जाएगी।

 

(प्राधिकारः रेलवे बोर्ड का दिनांक 23.05.2000 का पत्र सं. एफ (ई) ।।।/99/पीएन 1 (आशोधन)

 

(ग) खंड (ख) के उपबंध नियम 34 के अंतर्गत सिविल पेंशन के लिए मिलिट्री सेवा की गणना के मामले में लागू नहीं होंगे।

(प्राधिकारः रेलवे बोर्ड का दिनांक 07.12.2004 का पत्र सं.एफ (ई) 111/99/पीएन 1/21 (आशोधन)

 

1.1 सेवानिवृत्ति के समय 9 वर्ष और 9 माह या उससे अधिक की अर्हक सेवा को पेंशन और मृत्यु/सेवानिवृत्ति उपदान के प्रयोजनार्थ दस वर्ष की सेवा माना जाएगा।

 

2. आकस्मिकता से संदत्त सेवा की गणना :-

 

ऐसे रेल सेवक की बाबत जो 22 अगस्त, 1968 को या उसके पश्चात सेवा में आकस्मिकता से संदत्त सेवा का आधी नियमित नियोजन में समामेलन पर पैशनिक फायदा की गणना के लिए निम्नलिखित शर्तों के अधीन रहते हुए हिसाब में किया जाएगा, अर्थातः-

 

(क) आकस्मिकताओं से संदत्त पूर्णकालिक नियोजन वाले कार्य में सेवा की गई थी।

 

(ख) आकस्मिकताओं से संदत्त सेवा, इस प्रकार के कार्य या काम की होनी चाहिए, जिसके लिए नियमित पद, जैसे माली, चौकीदार और खलासी के पद स्वीकृत किए जा सकते थे;

 

(ग) सेवा ऐसी होनी चाहिए, जिसके लिए संदाय या तो मास-वार दर के आधार पर या मास-वार आधार पर संगणित और संदत्त दैनिक दर पर की गई है और जो यद्यपि नियमित वेतन-मान के सदृश नहीं है फिर भी वेतनमान के मामले में नियमित स्थापनों में स्टाफ द्वारा सुसंगत अवधि पर समरूप कार्य करने के लिए उसको संदत्त किए जा रहे वेतनमानों से कुछ संबंध हो;

 

(घ) आकस्मिकताओं से संदत्त की गई सेवा अनवरत रही हो और बिना भंग के नियमित नियोजन में समामेलन हो गया हो; परंतु यह कि आकस्मिकताओं से संदत्त की गई पिछली सेवा के लिए वेटेज इस शर्त के अधीन रहते हुए 1 जनवरी, 1961 के पश्चात की अवधि तब सीमित होगा कि सेवा के प्रमाणिक अभिलेख जैसे कि वेतन बिल, छुट्टी का रिकार्ड या सेवा पुस्तिका उपलब्ध है।

 

टिप्पण

 

(1) इस नियम के उपबंध आकस्मिकता से संदत्त नैमित्तिक श्रमिक को भी लागू होंगे।

 

(2) नियमित नियोजन में "आमेलन" अभिव्यक्ति से किसी नियमित पद के प्रति आमेलन अभिप्रेत है।

 

रेलवे में जामेलन के बाद स्वायत्तशासी निकायों में की गई सेवा की गणना

3. केंद्र सरकार द्वारा नियंत्रित या वित्तपोषित निकाय, जिसमें रेल कर्मचारी को आमेलित किया गया है, में पेंशन योजना है तो वह पेंशन के लिए निकाय में रेलवे के तहत की गई सेवा की गणना करने या रेलवे द्वारा जारी किए गए आदेशों के अनुसार रेलवे के तहत की गई सेवा के लिए सेवानिवृत्ति लाभ लेने का विकल्प दे सकता है।

(प्राधिकारः रेलवे बोर्ड का दिनांक 23.90.2013 का पत्र सं. 2011/एफ (ई) 111/1(1)9)

 

स्पष्टीकरणः निकाय से आशय स्वायत्तशासी निकाय या सांविधिक निकाय से है।

 

3.1 सरकार/रेलवे में कर्मचारियों ‌द्वारा की गई सेवा को भारतीय रिज़र्व बैंक और भारतीय स्टेट बैंक सहित राष्ट्रीयकृत बैंकों और इसकी सहायक कंपनियों तथा भारतीय जीवन बीमा निगम, साधारण बीमा निगम और इसकी सहायक कंपनियों सहित अन्य वित्तीय संस्थानों में आमेलन होने पर पेंशन के प्रयोजनार्थ गणना नहीं की जाएगी। इसी प्रकार, कर्मचारियों की केंद्र सरकार / रेलवे में उनकी नियुक्ति से पहले इन संस्थानों में की गई सेवा की केंद्र सरकार/रेलवे के तहत पेंशनीय लाओं के प्रयोजनार्थ गणना नहीं की जाएगी। वह संबंधित राष्ट्रीयकृत बैंकों आदि से यथा लागू टर्मिनल लाभ की मांग कर सकते हैं जिसमें उन्होंने केंद्र सरकार/रेलवे में नियुक्ति से पहले सेवा की हो।

 

(प्राधिकारः रेलवे बोर्ड का दिनांक 04.08.1995 का पत्र सं. एफ (ई)।।।/95/पीएन 1/4)

 

4. परिवीक्षा पर सेवा की गणना

परिवीक्षा के रूप में नियुक्त या परिवीक्षा पर किसी रेल सेवक को परिवीक्षा की अवधि को अर्हक सेवा समझा जाएगा।

(प्राधिकारः रेलवे बोर्ड का दिनांक 23.05.2000 का पत्र सं. एफ (ई) ।।1/95/पीएन 1 / (आशोधन)

5. प्रशिक्षण पर व्यतीत की गई अवधियों की गणनाः-

रेल मंत्रालय आदेश द्वारा, यह विनिश्चित  कर सकेगा कि रेल प्रशासन के अधीन सेवा में उसकी नियुक्ति से ठीक पूर्व रेल सेवक द्वारा प्रशिक्षण में व्यतीत की गई अवधि की गणना अहंक सेवा के रूप में की जाएगी या नहीं।

6. संविदा पर सेवा की गणनाः-

(1) कोई व्यक्ति, जिसे रेल द्वारा संविदा पर आरंभ में लगाया गया है और जिसे पश्चातवर्ती उसी पर दूसरे पद पर अधिष्ठायी हैसियत में सेवा में किसी व्यवधान के बिना नियुक्त किया गया है उसकी सेवा की ऐसी संविदा अवधि को रेल में किसी अन्य स्थायी सेवा के समान माना जाएगा और इन नियमों में अधिकथित शतों के अधीन रहते हुए पेंशनी फायदों की संगणना को गणना में लिया जाएगा।

परंतु यह किः-

(i) संविदा सेवा की उस अवधि की, जिसके दौरान संविदा अधिकारी ने राज्य रेल भविष्य निधि (अंशदायी) के लिए अभिदाय नहीं किया, ऊपर दर्शित विस्तार तक गणना की जाएगी। यदि ऐसी अवधि के दौरान संबद्ध रेल सेवक ने किसी सेवानिवृत्ति के फायदे की अनुपस्थिति के कारण कोई स्फीति दर प्राप्त नहीं कि है;

(ii) यदि संबद्ध रेल सेवक ने संविदा की सेवा की अवधि के दौरान राज्य रेल भविष्य निधि (अंशदायी) में अभिदाय किया है, तो उसके पास विकल्प होगा कि या तो-

(क) भविष्य निधि में सरकार का अंशदान उस पर ब्याज के साथ और प्रश्नगत अवधि के लिए कोई विशेष अंशदान, यदि कोई हो, वापस करें और ऊपर उपदर्शित विस्तार तक पेंशनी फायदों के लिए संविदा सेवा की गणना करे, या

(ख) भविष्य निधि में सरकार के अंशदान की उस पर ब्याज सहित जिसमें कोई अन्य प्रतिकर और भविष्य निधि में विशेष अंशदान, यदि कोई हो, सम्मिलित रखे रहे हों और प्रश्नगत संविदा सेवा की अवधि की पेंशनी फायदों के लिए गणना न करें।

(2) उपनियम (1) खंड (1) के उपखंड (क) या उपखंड (ख) में निर्दिष्ट विकल्प का प्रयोग संबद्ध रेल सेवा की अधिष्ठायी पद पर पुष्टि के आदेश के जारी होने की तारीख के तीन माह के भीतर और यदि वह उस तारीख को छुट्टी पर है तो उसकी छुट्टी पर से लौटने के तीन माह के भीतर, जो भी पश्चातवर्ती हो, किया जाएगा।

(3) यदि उप-नियम (2) में निर्दिष्ट अवधि के भीतर रेल सेवक से कोई विकल्प प्राप्त नहीं होता है तो यह समझा जाएगा कि उसने उप-नियम (1) के खंड (II) के उपखंड (ग) में निर्दिष्ट आर्थिक फायदों के प्रतिधारण के लिए विकल्प दिया है।

(4) जहां कोई रेल सेवक (संविदा के आधार पर) जिसे राज्य रेल अंशदायी भविष्य निधि के लिए स्वीकार किया गया है, उपरोक्त उप-नियम (1) के खंड (ii) के उपखंड (क) के लिए विकल्प देता है, वहां सरकार के अभिदाय की रकम उस पर ब्याज सहित जिसमें राज्य रेल भविष्य निधि (अंशदायी) में उसके नाम जमा कोई अन्य प्रतिकर और अविष्य निधि में विशेष अंशदान, यदि कोई हो, सम्मिलित है, अभ्यर्पित की जाएगी और ऐसी रकम भारत की संचित निधि में जमा की जाएगी।

परंतु यह कि उस दशा में, जहां किसी सरकारी अंशदान और विशेष अंशदान, यदि कोई हो, का संदाय रेल सेवक को किया गया है, वहां उससे यह अपेक्षा की जाएगी कि वह उसे प्राप्त रकम और संदाय की तारीख (तारीखों) से अंतिम प्रतिदाय की तारीख तक वास्तव में प्राप्त रकम पर उस दर से, जो सरकारी अंशदान को लागू होती, यदि वह रकम निधि में रही होती और उसने ब्याज अर्जित की होती तो, चक्रवृद्धि ब्याज के साथ प्रतिदाय करे और यदि जहां संपूर्ण रकम का प्रतिदाय किए जाने के पूर्व रेल सेवक की मृत्यु हो जाती है तो उस रकम का उस मृत्यु उपदान से समायोजन किया जाएगा, जो ऐसे रेल सेवक के कुटुम्ब को संदेय हो जाए।

7. रेल में नियोजन से पूर्व की गई सैनिक सेवा की गणना-

(1) ऐसा रेल सेवक, जिसे अधिवर्षिता की आयु प्राप्त करने से पूर्व किसी रेल सेवा या पद में पुनः नियोजित किया जाता है और जिसने ऐसे पुनः नियोजन से पूर्व सैनिक सेवा की थी, किसी रेल सेवा या पद में अपनी पुष्टि हो जाने पर, या तो-

(प्राधिकारः रेलवे बोर्ड का दिनांक 07.12.2004 का पत्र सं.एफ (ई) ।।।/2004/पीएन 1/21 (आशोधन)

(क) यह विकल्प कर सकेगा कि वह सैनिक पेंशन बराबर लेता रहे या सैनिक सेवा सेवा से उन्मोधित हो जाने पर प्राप्त उपदान अपने पास रखे, जिस दशा में उसकी पहले की सैनिक सेवा की गणना अर्हक सेवा के रूप में नहीं की जाएगी; या

(ख) अपनी पेंशन लेने से परिविरत रहने का और रिफंड,--

(i) पहले ली गई पेंशन;

(ii) सैनिक पेंशन के किसी भाग के संराशीकरण के लिए प्राप्त मूल्य, और

(iii) मृत्यु तथा सेवा निवृत्ति उपदान जिसके अन्तर्गत सेवा उपदान भी है, यदि कोई हो, की रकम, लौटा देने का और अपनी पहले की सैनिक सेवा की गणना अर्हक सेवा के रूप में करने का विकल्प कर सकेगा ऐर ऐसी दशा में वह सेवा जिसकी इस प्रकार गणना करने की अनुजा दी गई है भारत में या अन्यत्र उस कर्मचारी की यूनिट या विभाग के भीतर या बाहर ऐसी सेवा तक निर्बन्धित रहेगी जिसके लिए संदाय भारत की समेकित नीति में से किया जाता है या जिसके लिए पेंशन का अंशदान सरकार द्वारा प्राप्त हो चुका है:

परन्तु यह कि-

(i) पुनः नियोजन की तारीख के पूर्व ली गई पेंशन को लौटाए जाने की अपेक्षा नहीं की जाएगी;

(ii) पेंशन का वह तत्व, जिसकी उसका वेतन नियत किए जाने के लिए उपेक्षा की गई थी जिसके अन्तर्गत पेंशन का वह तत्व भी है जो पुनर्नियोजन पर वेतन नियत करने के लिए गणना में नहीं लिया गया था, उसके द्वारा लौटाया जाएगा।

(iii) उपदान के समतुल्य पेंशन को उस तत्व का जिसके अन्तर्गत पेंशन के संराशीकृत भाग का तत्व है, यदि कोई हो, जो वेतन नियत करने के लिए गणना में लिया गया था, मृत्यु तथा सेवानिवृत्ति उपदान की रकम के विरुद्ध संतुलित किया जाएगा और पेंशन का संराशीकृत मूल्य और अतिशेष, यदि कोई हो, उसके द्वारा लौटाया जाएगा।

स्पष्टीकरणः इस उपनियम के परन्तुक में "जो गणना में लिया गया" पद से पेंशन की रकम जिसके अन्तर्गत उपदान के समतुल्य वह रकम है जिसके द्वारा रेल सेवक का वेतन प्रारंभिक पुनः नियोजन पर घटाया गया था, अभिप्रेत है और "जो गणना में नहीं लिया गया था" पद का तदनुसार अर्थ, लगाया जाएगा।

(2) (क) उपनियम (1) में निर्दिष्ट किसी रेल सेवा में या पद पर अधिष्ठायी नियुक्ति का आदेश जारी करने वाला प्राधिकारी ऐसे आदेश के साथ रेल सेवक से उस नियम के अधीन ऐसा आदेश जारी किए जाने की तारीख से तीन मास के भीतर या यदि वह उस तारीख को छुट्टी पर है तो उसके छुट्टी से लौट आने के तीन मास के भीतर, इनमें से जो भी पश्चातवती हो, अपने विकल्प का प्रयोग करने और उस उपनियम के खण्ड (ख) के उपबंध भी उसकी जानकारी में लाने की लिखित अपेक्षा करेगा।

(ख) यदि खण्ड (क) में निर्दिष्ट अवधि के भीतर किसी विकल्प का प्रयोग नहीं किया जाता है तो रेल सेवक के बारे में यह समझा जाएगा कि उसने नियम (1) के खण्ड (क) के लिए विकल्प का प्रयोग किया है।

3 (क) ऐसे रेल सेवक से जो उपनियम (1) के खण्ड (ख) के लिए विकल्प देता है, यह अपेक्षा की जाएगी कि वह अपनी पहले की सैनिक सेवा की बाबत प्राप्त पेंशन, बोनस या उपदान छत्तीस से अनधिक मासिक किस्तों में, जिनसे पहली किस्त इस मास के, जिसमें उसने विकल्प का प्रयोग किया था, ठीक बाद के मास से प्रारंभ होगी, लौटा दे।

(ख) पहले की सेवा की अर्हक सेवा के रूप में गणना कराने का अधिकार तब तक पुनः प्रवर्तित नहीं होगा जब तक पूरी रकम लौटा न दी गई हो।

(4) ऐसे रेल सेवक की दशा में जो पेंशन, बोनस या उपदान को लौटा देने का निर्वाचन करके पूरी रकम लौदा देने से पहले ही मर जाए, पेंशन या उपदान की वह रकम जो लौटाने से रह गई है, उस मृत्यु तथा सेवानिवृत्ति उपदान मद्दे समायोजित कर दी जाएगी, जो उसके कुटुंब को संदेय हो जाए।

(5) जब इस नियम के अधीन ऐसा कोई आदेश पारित किया गया हो जिसमें यह अनुज्ञा दी गई हो कि पहले की सैनिक सेवा की गणना सिविल पेंशन के लिए अर्हक सेवा के एक भाग के रूप में की जाएगी तब उस आदेश के बारे में यह समझा जाएगा कि उसमें सैनिक सेवा और रेल सेवा के बीच व्यवधान, यदि कोई हो, का माफ किया जाना सम्मिलित है।

7.1 सैनिक सेवा का सत्यापनः

पेंशन अनुदत्त किए जाने के पूर्व उस व्यक्ति की युद्ध या सैनिक सेवा का जिसको पेंशन संदेय है और पेंशन के बदल में संदत्त किए गए बोनस या उपदान की रकम का प्ररूप 3 में निम्नलिखित प्राधिकारियों में से जैसा प्रत्येक प्रवर्ग के सामने दर्शित है, सत्यापन किया जाएगा, अर्थातः-

I (क) भूतपूर्व आयुक्त आफिसर-

(i) गैर-चिकित्सीय अधिकारी ए जी की ब्रान्च/संगठन (आरआर और सी) (घ) सेना मुख्यालय, डी.एच. क्यू, डाकखाना, नई दिल्ली।

(ii) चिकित्सा अधिकारी एमपीआरएस (ओ) (एमई) चिकित्सा निदेशालय सेना मुख्यालय, डी.एच.क्यू, डाकखाना, नई दिल्ली।

(ख) भूतपूर्व नौसैनिक अधिकारी कार्मिक सेवा निदेशालय, (नौसैनिक नियुक्तियां), मुख्यालय डीएचक्यू पीओ, नई दिल्ली

(ग) भूलपूर्व वायु सेना अधिकारी कार्मिक निदेशालय (अधिकारी) पी.ओ. (2) वायुसेना मुख्यालय, डीएचक्यू पीओ, नई दिल्ली,

भूतपूर्व कनिष्ठ कमीशन अधिकारी, अन्य रैंक और एन. सी.ई. और नौसेना तथा वायुसेना में उनके समतुल्य (संबंधित प्राधिकारियों को प्ररूप 3 की दो प्रतियां संलग्न करते हुए संबोधित किया जाएगा)-

(क) भारतीय सेना के कनिष्ठ कमीशन आफिसर, अन्य रैंक और एन.सी.ई, संबंधित व्यक्ति के उन्मोचन पत्र में यथा उपदर्शित उसका अभिलेख कार्यालय (विद्यमान अभिलेख कार्यालय की सूची परिशिष्ट 2 में दी गई है।

(ख) नौ सेना के सी.पी.ओ., पेटी आफिसर और नाविक कप्तान नौसेना बैरक (ड्राफ्टिंग कार्यालय), मुंबई।

(ग) वायु सेना के एम. डब्ल्यू. ओ. डब्ल्यू ओ. एन.सी. ओ. और वायु सैनिक कार्मिक निदेशालय (वायु सैनिक) वायुसेना मुख्यालय, वायु भवन, नई दिल्ली।

8. रेलवे में स्थानान्तरित और स्थायी रूप से आमेलित व्यक्ति द्वारा केन्द्रीय सरकार (सिविल मंत्रालय या विभाग में या रक्षा मंत्रालय के अधीन जिसके अंतर्गत आयुध कारखाना भी है, सिविलियन के रूप में) या राज्य सरकार के अधीन की गई सेवा की गणना।

(1) किसी अन्य केन्द्रीय सरकार विभाग से रेल को स्थानान्तरित पेंशन योग्य कर्मचारी को, जब तक उसे रेल सेवा में स्थायी रूप से आमेलित नहीं किया जाता है, प्रतिनियुक्ति पर समझा जाएगा और ऐसी सेवा में स्थायी आमेलन पर वह इन नियमों के अधीन पॅशनिक फायदों के लिए हकदार होगा।

(2) यदि किसी स्थायी कर्मचारी का, जो अंशदायी भविष्य निधि का सदस्य है, स्थानान्तरण किया जाता और उसे पेंशनी आधार पर रेल सेवा में स्थायी रूप से आमेलित कर लिया जाता है, तो ऐसी रेल सेवा में पद- ग्रहण से पूर्व उसके द्वारा की गई सेवा की अवधि की गणना इन नियमों के अधीन पैशनिक फायदों के लिए की जाएगी और उसके भविष्य निधि खाते में नियोजक का अंशदान उस मंत्रालय या विभाग दद्वारा किया जाएगा जिसमें उसने ऐसी रेल सेवा में पद ग्रहण से पूर्व सेवा की थी।

(3) ऐसे कर्मचारी की दशा में, जो राज्य सरकार की सेवा में रहते हुए अंशदायी भविष्य निधि का सदस्य था, उसके सरकारी अंशदान की रकम ब्याज के साथ संबंधित राज्य सरकार की सहमति से रेल द्वारा की जाएगी और ऐसे कर्मचारी को, राज्य सरकार के अधीन उसकी सेवा की उस अवधि को जिसके दौरान उसने वास्तविक रूप से अंशदायी भविष्य निधि में अभिदोन किया था, की गणना करने के लिए अनुज्ञात किया जाएगा और यदि संबंधित राज्य सरकार ऐसी सरकार के अधीन की गई पूरी सेवा पर विचार करते हुए सेवा अंश आधार पर आनुपातिक उत्तरदायित्व वहन करने की इच्छा रखता है, तो उसके द्वारा समादत्त ऐसी सेवा के लिए सरकारी अंशदान ऐसे राज्य सरकार द्वारा किया जाएगा। 

(4) नियम 23 के उपबंध, जहां तक हो सके राज्य या केन्द्रीय सरकार के अधीन की गई संविदा सेवा को लागू होंगे। परंतु यह कि पूर्व संविदा सेवा की जिसके दौरान रेल सेवक ने अंशदायी भविष्य निधि में अंशदान नहीं दिया था, गणना केवल तभी की जाएगी यदि पूर्व नियोजक, उसके द्वारा की गई पूरी सेवा के लिए, सेवा- अंश के आधार पर आनुपातिक दायित्व वहन करने के लिए तैयार है।

9. सेवा में व्यवधान को माफ किया जानाः-

(1) (क) सेवा पुस्तिका में तत्प्रतिकूल किसी विनिर्दिष्ट संकेत के न होने पर, किसी रेल सेवक द्वारा सरकार के अधीन की गई सरकारी सेवा, बीच व्यवधान, जिसके अंतर्गत रक्षा सेवा प्राक्कलनों या रेल प्राक्कलनों में की गई और उनके द्वारा संदत्त सिविल सेवा भी है, की दो अवधियों के बीच का व्यवधान स्वतः माफ किया गया समझा जाएगा और व्यवधान-पूर्व सेवा अर्हक सेवा के रूप में समझी जाएगी,

(ख) खंड (क) की कोई बात, सेवा से त्यागपत्र, पदच्युति या हटाए जाने या किसी हड़ताल में भाग लेने के कारण हुए व्यवधान को लागू नहीं होगी।

(2) जहां रेल सेवक की सेवा में व्यवधान माफ कर दिया जाता है वहां वह, जब तक कि ऐसी माफी के लिए मंजूरी में तत्प्रतिकूल विनिर्दिष्ट उपबंध न हो, ऐसे व्यवधान के पूर्व अपनी सेवा के बारे में उसके द्वारा प्राप्त कोई उपदान, विशेष अभिदाय तथा भविष्य निधि में सरकारी अभिदाय, यदि कोई हो, उस पर ब्याज सहित लौटा देगा।

10. निलंबन की अवधियों की गणना-

जहां किसी रेल सेवक को उसके आचरण की जांच के लंबित रहने तथा निलंबनाधीन रखा जाता है वहां ऐसे निलंबन की अवधि की अर्हक सेवा के रूप में केवल तभी गणना की जाएगी जब ऐसी जांच की समाप्ति पर उसे पूरी तरह से विमुक्त कर दिया गया है अथवा निलंबन को पूर्णतः अन्यायपूर्ण ठहराया गया है और अन्य मामलों में ऐसे निलंबन की अवधि की गणना तब तक नहीं की जाएगी जब तक ऐसे मामलों को शासित करने वाले नियम के अधीन आदेश पारित करने के लिए सक्षम प्राधिकारी उस समय स्पष्ट रूप से यह घोषित न करे कि उसकी गणना केवल उसी सीमा तक की जाएगी जिसकी सक्षम प्रधिकारी घोषणा करे। जहां रेल सेवक को बहाल करने वाले प्राधिकारी ने पेंशन संबंधी फायदों के लिए अर्हक सेवा के प्रयोजन के लिए निलंबन की अवधि की बाबत आदेश पारित नहीं किए हैं। वहां निलंबन की अवधि केवल तभी अर्हक होगी जब यथा-स्थिति उसे ड्यूटी के रूप में या देय छुट्टी के रूप में समझा गया है।

11. छुट्टी पर व्यतीत की गई अवधियों की गणना-

सेवा के दौरान ली गई ऐसी सभी छुट्टी की, जिसके लिए छुट्टी वेतन संदेय है, और चिकित्सीय प्रमाणपत्र पर मंजूर की गई सभी असाधारण छुट्टी की गणना अर्हक सेवा के रूप में की जाएगी।

परंतु चिकित्सीय प्रमाणपत्र पर मंजूर की गई असाधारण छुट्टी से भिन्न छुट्टी की दशा में नियुक्ति प्राधिकारी ऐसी छुट्टी मंजूर करते समय, उस छुट्टी की अवधि की अर्हक सेवा के रूप में गणना किये जाने की अनुज्ञा दे सकेगा यदि ऐसी छुट्टी रेल सेवक को

(प्राधिकारः रेलवे बोर्ड का दिनांक 23.05.2000 का पत्र सं. एफ (ई) ।।।/99/पीएन 1/(आशोधन)

(i) नागरिक संक्षोभ के कारण कार्यभार ग्रहण करने या पुनः ग्रहण करने में उसकी असर्मथता के कारण, या

(ii) उच्च वैज्ञानिक और तकनीकी अध्ययन करने के लिए, मंजूर की गई है।

 

किसी प्रतिस्थायी की सेवा की गणनाः-

किसी प्रतिस्थायी के रूप में भी की गई सेवा पैशनिक फायदों के लिए प्रतिस्थायी के रूप में शिक्षकों की दशा में तीन मास की और अन्य दशाओं में चार मास की नियमित सेवा पूर्ण होने की तारीख से और बाद में बिना सेवा भंग के नियमित समूह ग या समूह ध पद पर आमेलन किए जाने पर गणना में ली जाएगी।

13. सयुंक्त राष्ट्र और अन्य संगठनों में प्रतिनियुक्ति की अवधिः-

संयुक्त राष्ट्र सचिवालय या संयुक्त राष्ट्र के अन्य किन्हीं निकायों, अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष, अंतरराष्ट्रीय बैंक ऑफ रिकन्सट्रक्शन एंड डेवलेपमेंट, एशियाई विकास बैंक या कामनवेल्थ सचिवालय या किसी अन्य अंतरराष्ट्रीय संगठन में विदेश सेवा में प्रतिनियुक्ति रेल सेवक और जो उस संगठनसे पेंशनीय फायदों के लिए पात्र हो, अपने विकल्प पर-

(क) अपनी अन्यत्र सेवा की बाबत पेंशन का अंशदान अदा कर सकेगा और ऐसी सेवा की गणना इन नियमों के अधीन पेंशन के लिए अर्हक रूप में कर सकेगा; या

(ख) पूर्वोक्त संगठनों के नियमों के अधीन अनुज्ञेय सेवानिवृत्ति प्रसुविधाओं का उपभोग कर सकेगा और ऐसी सेवा की गणना इन नियमों के अधीन पेंशन के लिए अर्हक रूप में नहीं कर सकेगा।

परंतु जहां कि कोई रेल सेवक खंड (ख) के लिए विकल्प करता है वहां सेवानिवृत्ति प्रसुविधाएं उसे भारत में रुपयों में ऐसी तारीख से और ऐसी रीति से संदेय होगी, जिसे रेल बोर्ड, आदेश द्वारा, विनिर्दिष्ट करे।

परंतु यह और कि रेल सेवक द्वारा दिए गए पेंशन अंशदान, यदि कोई हाँ, उसे लौटा दिए जाएंगे।

(प्राधिकारः रेलवे बोर्ड का दिनांक 23.09.2013 का पत्र सं. 2011/एफ (ई)।।।/1(1)9)

14. वे अवधियां जिन्हें पेंशन साभ के लिए सेवा नहीं माना जाएगाः

निम्नलिखित हैसियतों में से किसी में नियोजन की अवधियां पेंशन लाभ के लिए सेवा गठित नहीं

करेगी:-

(i) अंशकालिक हैसियत में;

(ii) नैमित्तिक बाजार या दैनिक दरों परः

(iii) गैर-पेंशनीय पद परः

(iv) नियम 31 में यथा उपबंधित के सिवाय ऐसे पद पर जिसके लिए संदाय आकस्मिकताओं से किए जाते

(v) किसी प्रसंविदा या किसी संविदा के अधीन जो विनिर्दिष्ट रूप से पेंशन लाभ के दिए जाने के लिए उपबंध नहीं करती है;

(vi) किसी फीस या मानदेय के संदाय पर किया गया कार्य;

(vii) विशेष वर्ग प्रशिक्षुओं की शिक्षुता अवधिः

(प्राधिकारः रेलवे बोर्ड का दिनांक 23.05.2000 का पत्र सं. एफ (ई)।।1/99/पीएन 1 (आशोधन)

(viii) नियम 40 के अनुसार सेवा से हटाया जाना या पदच्युतिः

(ix) नियम 41 के अधीन उपदर्शित रूप में के सिवाय सेवा से पदत्यागः

(x) प्राधिकृत कार्य ग्रहण की अवधि के अनुक्रम में या अनुपस्थिति की प्राधिकृत छुट्टी के अनुक्रम में अप्राधिकृत अनुपस्थिति की अवधि को छुट्टी के उपरांत अनुपस्थित रहना माना जाएगा;

(xi) किसी ऐसे रेल सेवक को जिसे स्वयं के अनुरोध पर लोकहित में नहीं स्थानांतरित किया गया है अनुज्ञात कार्यग्रहण करने की अवधि जिसके लिए वह संदाय किए जाने का हकदार नहीं है;

(xii) अकार्य दिन के रूप में मानी गई सेवा की अवधिः

(xiii) विदेश सेवा जियके संबंध में विदेशी नियोजक या रेल सेवक ने सेवा अंश का संदाय नहीं किया है जब तक कि संदाय का विनिर्दिष्ट रूप से राष्ट्रपति द्वारा अधित्यजन न किया गया हो;

(xiv) संविदा के आधार पर सिवाय उस दशा के जिसमें उसकी बाद में पुष्टि कर दी गई हो।

टिप्पणः रेल कर्मशाला कर्मचारीवृन्द को मंजूर किए गए अवकाश दिन रविवार और आधे दिन या उससे कम के लिए छुट्टी की लघु अवधियों को अर्हक सेवा माना जाएगा।

15. वे शर्तें जिनके अध्यधीन सेवा अर्हक होती है:-

(1) रेल सेवक की सेवा तक तब अर्हक नहीं होगी जब तक उसके कर्तव्यों और वेतन को सरकार द्वारा या सरकार द्वारा अवधारित शर्तों के अधीन विनियमित नहीं कर दिया जात।

स्पष्टीकरणः उप नियम (1) के प्रयोजन के लिए इन नियमों जैसा अन्यथा उपबंधित है इसके सिवाय सेवा अभिव्यक्ति से सरकार के अधीन ऐसी सेवा अभिप्रेत है जिसके लिए संदाय उस सरकार द्वारा भारत की संचित निधि में से या उस सरकार द्वारा प्रशासित किसी स्थानीय निधि में से किया जाता है किंतु इसके अंतर्गत किसी गैर-पेंशनीय स्थानापन्न में की सेवातब तक नहीं आती जब तक कि ऐसी सेवा उस सरकार द्वारा अर्हक सेवा नहीं मानी जाती है।

(2) राज्य सरकार के ऐसे रेल सेवक की दशा में जो स्थायी रूप से रेल के अधीन सेवा में या पद पर स्थानांतरित किया जाता है उस राज्य सरकार के अधीन स्थानापन्न या अस्थायी हैसियत में की गई लगातार सेवा यदि कोई हो, जिसके पश्चात बिना अवरोध के अधिष्ठायी नियुक्ति हुई हो अथवा उस सरकार के अधीन यथास्थिति स्थानापन्न् या अस्थायी हैसियत में की गई लगातार सेवा अर्हक होगी।

परंतु इस उपनियम की कोई भी बात ऐसे रेल सेवक को लागू नहीं होगी जो किसी ऐसी सेवा में या पद पर जिसे ये नियम लागू होते हैं प्रतिनियुक्ति से भिन्न किसी प्रकार से नियुक्त किया जाए।

16. रेल में सेवा की अर्हक सेवा के रूप में गणनाः-

रेल में सेवा की अर्हक सेवा के रूप में गणना किसी रेल सेवक की वह सेवा जो पेंशनिक फायदों के लिए अर्हित होगी, इन नियमों में उपबंधित विस्तार तक यथा निम्नलिखित होगी:

(i) भारतीय रेल में लगातार सेवा या उस पूर्ववर्ती कंपनी रेल या पूर्ववर्ती राज्य रेल में लगातार सेवा, जिसे केंद्रीय सरकार द्वारा ले लिया गया है और पश्चातवर्ती भारतीय रेल में सेवा।

टिप्पणः पूर्ववर्ती राज्य शासक के साथ रेल सेवक द्वारा की गई सेवा को जो चाहे राज्य कर्मचारी के रूप में या भूतपूर्व शासक के साथ व्यक्तिगत रूप में या परिसंघीय वित्तीय एकीकरण के पूर्व उसके गृह धारक के रूप में जिसके पश्चात ऐसी सेवा में व्यवधान न हुआ हो पेंशनी फायदों के लिए पूर्ववर्ती राज्य रेल में सेवा माना जाएगा। इस बात को दृष्टि में लाए बिना कि उसको परिलब्धियों का संदाय राज्य राजस्व से या भूतपूर्व शासक के प्राइवेट स्रोत से किया गया था।

(ii) भारतीय रेल या किसी भूतपूर्व कंपनी रेल या भूतपूर्व राज्य रेल में जिसे सरकार ‌द्वारा ले लिया गया है पद ग्रहण करने से पहले की गई सेवाएं परंतु यह तब जबकिः

(क) यह सेवा भारतीय रेल या किसी भूतपूर्व राज्य रेल या भूतपूर्व कंपनी रेल में कोई सेवा हो और यदि स्थानांतरण के समय यह विनिश्चय किया गया हो कि ऐसी सेवा की गणना भविष्य निधि में विशेष अंशदान के लिए की जाएगी।

(ख) यह सेवा भारतीय रेल या भूतपूर्व रेल कंपनी या भूतपूर्व राज्य रेल में संविदा के आधार पर नियम 24 के उपबंधों के अध्यधीन हो।

(ग) यह सेवा प्राइवेट रेल कंपनी या अर्ध रेल निकाय के अधीन नियम 25 के उपबंधों के विस्तार तक और उनके अध्यधीन रहते हुए हो;

(iii) अर्थ सरकारी संस्थान के अधीन किसी वैज्ञानिक कर्मचारी की गैर पेंशनी सेवा जो नियम 30 के उपबंधों के अध्यधीन रहते हुए उपकर या जो सरकारी अनुदान से वित्तपोषित हो।

(iv) सैनिक या युद्ध सेवा।

(v) नियम 27 के उपबंधों के अनुसार रेल में हुए अंतरण के पूर्व केन्द्रीय सरकार (किसी सिविल मंत्रालय या विभाग में या रक्षा मंत्रालय) जिसमें आर्डनेंस कारखाना भी शामिल है सिविल कर्मचारी के रूप में या राज्य सरकार के अधीन की गई अर्हक सेवा।

17. प्राइवेट रेल कंपनी और अर्द्ध-रेल निकायों के अधीन की गई सेवा की गणनाः

(1) पूर्व प्राइवेट या पूर्व राज्य रेल कंपनी और अर्द्ध-रेल निकार्यों के ऐसे कर्मचारियों की पूर्ववर्ती सेवा जो भारतीय रेल में शामिल किए गए या नए प्रवेशक के रूप में आमेलित या नियुक्त किए गए थे। इन नियमों के अधीन यदि वह भविष्य निधि के विशेष अभिदाय के प्रयोजन के लिए गणनीय है जो पैशनिक फायदों के लिए गणना में ली जाएगी:

(1) यदि विद्रद्यमान आदेशों के अधीन वह सेवा भविष्य निधि के विशेष अभिदाय के लिए गणनीय नहीं है तो उसे पैशनिक फायदों के लिए गणना में नहीं लिया जाएगा;

(il) यदि वि‌द्यमान आदेशों के अधीन पूर्व सेवा केवल भविष्य निधि के विशेष अभिदाय की पात्रता अवधारित करने के लिए गणनीय है तो पेंशनिक फायदों के लिए उस पूर्ण सेवा की गणना में लिया जाएगा।

(2) उस पूर्ववर्ती सेवा को जिसे उपनियम (1) के उपबंधों के अनुसार गणना में लिया गया है, इन नियमों के अधीन पेंशनिक फायदों के लिए उसमें उपदर्शित सीमा तक रेलों में की गई सेवा के रूप में माना जाएगा।

18. भारतीय रेल सम्मेलन संगम में की गई सेवा की गणनाः

यदि किसी रेल सेवक देवारा की गई सेवा का एक भाग भारतीय रेल सम्मेलन संगम में है, तो ऐसी सेवा, सरकार के अधीन दी गई सेवा के रूप में समझी जाएगी और इन नियमों के अधीन अर्हक सेवा की संगणना के लिए गणना में ली जाएगी;

परंतु यह तब जब कि स्थानान्तरण, रेल सेवक के आवेदन को उचित माध्यम से अग्रेषित किए जाने के परिणामस्वरूप या कर्मचारी की विशेष अर्हताओं या अनुभव के कारण भारतीय रेल सम्मेलन संगम और भारतीय रेल प्रशासन द्वारा ऐसे स्थानान्तरण या सहमत होने के परिणास्वरूप हुआ है।

19. राज्य और केन्द्रीय सरकार के अधीन की गई अस्थायी सेवा की गणना और पेंशनिक दायित्व का आवंटन ।

(1) सरकारी सेवक को ऐसी सरकार द्वारा, जहां से वह सेवानिवृत्त हो, पेंशन अनुदत्त करने के लिए, केन्द्रीय सरकार और राज्य सरकार दोनों के अधीन अर्हक सेवा की गणना करने का लाभ अनुज्ञात किया जा सकेगाः परंतु यह तब जब कि सरकारी कर्मचारी द्वारा केन्द्रीय सरकार या राज्य सरकार के अधीन की गई अस्थायी सेवा के लिए प्राप्त उपदान, यदि कोई हो, संबंधित सरकार को प्रतिदाय कर दिया जाता है।

(2) उपनियम (1) के अनुसार, सम्मिलित सेवा के फायदों का दावा करने के लिए पात्र सरकारी सेवक निम्नलिखित प्रवर्गों के होंगे:-

(क) वे जिनकी केन्द्र सरकार या राज्य सरकार की सेवा से छंटनी की गई थी लेकिन जिन्होंने छंटनी की तारीख और नई नियुक्ति की तारीख के बीच सेवा में व्यवधान के साथ या बिना व्यवधान के केन्द्रीय सरकार या राज्य सरकार के अधीन अपने प्रयास से नियोजन प्राप्त कर लिया है।

(ख) वे, जो केन्द्रीय सरकार या राज्य सरकार के अधीन अस्थायी पद धारण करते समय, संबंधित प्रशासनिक प्राधिकारी की समुचित अनुजा के साथ उचित माध्यम से केन्द्रीय सरकार या राज्य सरकार के अधीन पदों के लिए आवेदन करते हैं:

परंतु यह कि जहां किसी कर्मचारी से नई नियुक्ति पर पद ग्रहण से पहले, उसके द्वारा धारित अस्थायी पद से प्रशासनिक कारणों से तकनीकी अपेक्षा को पूरा करने के लिए अपेक्षा है वहां त्यागपत्र स्वीकार करने वाले प्राधिकारी द्वारा त्यागपत्र देने के इस आशय का एक प्रमाणपत्र जारी किया जा सकता है। ऐसा त्यागपत्र प्रशासनिक कारणों से या नए पद ग्रहण करने की समुचित अनुज्ञा से तकनीकी अपेक्षा पूरा करने के लिए दिया गया था। सेवानिवृत्ति के समय, यह फायदा पाने में उसे समर्थ बनाने के लिए, इस प्रमाणपत्र का अभिलेख उचित अनुप्रमाणन के अधीन उसकी सेवापुस्तिका में भी किया जा सकता है।

(3) इस नियम के उपबंध, जम्मू एवं कश्मीर और नागालैण्ड राज्य सरकारों के पूर्ववर्ती नियोजन के कर्मचारियों पर लागू नहीं होंगे।

20. केन्द्रीय सरकार के विभागों का पेंशनिक दायित्वः

पेंशन, जिसके अंतर्गत उपदान भी है, का पूरा दायित्व उस विभाग द्वारा वहन किया जाएगा जिसमें सरकारी सेवक, सेवानिवृत्ति के समय स्थायी है और आनुपातिक पेंशन की कोई वसूली, केन्द्रीय सरकार के अन्य विभागों से जिसके अधीन उसने सेवा की थी, नहीं की जाएगी।

वैज्ञानिक कर्मचारियों द्वारा अर्थ-सरकारी संस्थाओं में दी गई सेवा की गणनाः-

किसी वैज्ञानिक कर्मचारी द्वारा किसी अर्ध-सरकारी संस्था में, जो उपकर या सरकारी अनुदानों द्वारा वित्तपोषित है, की गई सेवा और ऐसी सेवा के दौरान वह अंशदायी भविष्य निधि का अभिदाता रहा था, पेंशनी रेल सेवा में बिना किसी व्यवधान के स्थायी नियुक्ति पर, पेंशन के लिए अर्हक सेवा के रूप में गणना में की जाएगी। 

परंतु यह तब जब उक्त संस्था द्वारा संदत्त अंशदान उस पर ब्याज सहित सरकार को दे दिया गया है, लेकिन सेवा की उतनी अधिक अवधि, जिसके दौरान उसने अंशदायी भविष्य निधि में अंश नहीं दिया था, तब तक इस प्रकार गणना नहीं की जाएगी जब तक कि पूर्व नियोजक इस प्रकार की गई सेवा के लिए पेंशनी फायदा मद्दे आनुपातिक दायित्व का वहन करने के लिए सहमत न हो। यदि कर्मचारी, ऐसी किसी संस्था में अंशदायी भविष्य निधि आधार पर नहीं था, तो उसकी पूर्व सेवा की गणना पेंशन के लिए अर्हक के रूप में तभी की जाएगी जब पूर्व नियोजन पेंशनी फायदा मद्दे आनुपातिक दायित्व का वहन करने के लिए सहमत हो।

21.  वैज्ञानिक कर्मचारियों द्वारा अर्थ-सरकारी संस्थाओं में दी गई सेवा की गणनाः- 

किसी वैज्ञानिक कर्मचारी द्वारा किसी अर्ध-सरकारी संस्था में, जो उपकर या सरकारी अनुदानों द्वारा वित्तपोषित है, की गई सेवा और ऐसी सेवा के दौरान वह अंशदायी भविष्य निधि का अभिदाता रहा था, पेंशनी रेल सेवा में बिना किसी व्यवधान के स्थायी नियुक्ति पर, पेंशन के लिए अर्हक सेवा के रूप में गणना में की जाएगी। 

 

परंतु यह तब जब उक्त संस्था द्वारा संदत्त अंशदान उस पर ब्याज सहित सरकार को दे दिया गया है, लेकिन सेवा की उतनी अधिक अवधि, जिसके दौरान उसने अंशदायी भविष्य निधि में अंश नहीं दिया था, तब तक इस प्रकार गणना नहीं की जाएगी जब तक कि पूर्व नियोजक इस प्रकार की गई सेवा के लिए पेंशनी फायदा मद्दे आनुपातिक दायित्व का वहन करने के लिए सहमत न हो। यदि कर्मचारी, ऐसी किसी संस्था में अंशदायी भविष्य निधि आधार पर नहीं था, तो उसकी पूर्व सेवा की गणना पेंशन के लिए अर्हक के रूप में तभी की जाएगी जब पूर्व नियोजन पेंशनी फायदा मद्दे आनुपातिक दायित्व का वहन करने के लिए सहमत हो।

 

22. पुनः नियोजित रेल सेवक की दशा में सेवा-निवृति-पूर्व की सेवा (जिसके अंतर्गत रेल सेवा है) की गणना-

 

(1) ऐसा रेल सेवक, जो प्रतिकर पेंशन या अशक्त पेंशन या प्रतिकर उपदान का सेवानिवृत होने के पश्चात् पुनः नियोजित किया जाता है और किसी ऐसी सेवा या पद में, जिसे ये नियम लागू होते हैं, अधिष्ठायी रूप से नियुक्त किया जाता है, या तो-

 

(क) अपनी पूर्वतर सेवा के लिए मंजूर की गई पेंशन लेते रहने या उपदान रखे रखने का विकल्प कर सकता है किन्तु ऐसी दशा में उसकी पहले की सेवा की गणना अर्हक सेवा के रूप में नहीं की जाएगी, या

 

(ख) अपनी पेंशन लेते रहने से परिविरत होने और-

 

पहले ली गई पेंशन,

 

(ii) पेंशन के भाग के संराशीकरण के लिए प्राप्त मूल्य या उसकी किसी भाग का, और

 

(ii) मृत्यु तथा सेवानिवृति उपदान की रकम, यदि कोई हो को लौटा देने का और पूर्व सेवा की गणना अर्हक सेवा के रुप में किए जाने का विकल्प कर सकता है:

 

परन्तु यह कि-

 

(1) पुनर्नियोजन की तारीख से पूर्व ली गई पेंशन लौटा दिए जाने के लिए अपेक्षित नहीं होगी;

 

(ii) पेंशन का वह तत्व, जिसकी उसके वेतन नियत करने के लिए उपेक्षा की गई थी जिसके अंतर्गत पेंशन का वह तत्व भी है, जिसकी वेतन नियत करने के लिए गणना नहीं की गई थी, उसके द्वारा लौटाया जाएगा;

 

(iii) उपदान के समतुल्य पेंशन के उस तत्व का जिसके अंतर्गत पेंशन के संराशीकृत भाग का तत्व भी है, यदि कोई हो, जिसकी उसका वेतन नियत करने के लिए गणना की गई थी, मृत्यु तथा सेवा निवृति उपदान की रकम के विरुद्ध संतुलित किया जाएगा और पेंशन का संराशीकृत मूल्य तथा अतिशेष, यदि कोई हो, उसके द्वारा लौटाया जाएगा।

 

स्पष्टीकरणः- इस उपनियम के परंतुक में "जिसकी गणना में ली गई थी" पद से पेंशन की रकम भी है जिसके द्वारा रेल सेवक का वेतन प्रारंभिक पुनः नियोजन पर घटाया गया था, अभिप्रेत है और "जिसकी गणना नहीं की गई थी" पद का तदनुसार अर्थ लगाया जाएगा।

 

(2) (क) उपनियम (1) में निर्दिष्ट किसी रेल सेवा में या पद पर अधिष्ठायी नियुक्ति का आदेश जारी करने वाला प्राधिकारी ऐसे आदेश के साथ रेल सेवक से उस नियम के अधीन ऐसा आदेश जारी किए जाने की तारीख से तीन मास के भीतर या यदि वह उस तारीख को छुट्टी पर है तो उसके छुट्टी से लौट आने के तीन मास के भीतर, इनमें से जो भी पश्चात्त्वर्ती हो, अपने विकल्प का प्रयोग करने और उस उपनियम के खण्ड (ख) के उपबंध भी उसकी जानकारी में लाने की लिखित अपेक्षा करेगा।

 

(ख) यदि खण्ड (क) में निर्दिष्ट अवधि के भीतर किसी विकल्प का प्रयोग नहीं किया जाता है तो रेल सेवक के बारे में यह समझा जाएगा कि उसने नियम (1) के खण्ड (क) के लिए विकल्प का प्रयोग किया है।

 

(3) ऐसे रेल सेवक की दशा में, जो उपनियम (1) के खण्ड (क) के लिए विकल्प देता है या जिसके बारे में ऐसा समझा जाता है कि, उसकी पश्चात्वर्ती सेवा के लिए अनुज्ञेय पेंशन या उत्पादन इस परिसीमा के अधीन अध्यधीन होगा कि सेवा उत्पादन अथवा पेंशन का पूंजी मूल्य और मृत्यु तथा सेवा उपदान के, यदि कोई हो, जो यदि सेवा की दोनों अवधियों को मिला लिया जाए तो जो उसके अंतिम रूप से सेवानिवृत होने के समय उसे अनुज्ञेय हो तथा पहले की सेवा के लिए उसे पहले ही अनुदत्त सेवानिवृत प्रसुविधाओं के मूल्य के अंतर से अधिक नहीं होगा।

 

टिप्पणः- पेंशन या पूंजी मूल्य, दूसरी या अंतिम सेवानिवृति के समय लागू रेल सेवा (पेंशन का संराशीकरण) नियम, 1993 के अधीन परिशिष्ट-2 में सारणी के अनुसार संगित किया जाएगा।

 

(4) (क) ऐसे रेल सेवक से, जो उपनियम (1) के खण्ड (ख) के लिए विकल्प देता है, यह अपेक्षा की जाएगी कि वह अपनी पहले की सेवा की बाबत प्राप्त उपदान, जिसके अंतर्गत मृत्यु तथा सेवानिवृत्ति उपदान है, छत्तीस से अनधिक मासिक किस्तों में, जिसमें से पहली किस्त उस मास के, जिसमें उसने विकल्प का प्रयोग किया था, ठीक बाद के मास से प्रारंभ होगी, लौटा दे।

 

(ख) पहले की सेवा की अर्हक सेवा के रुप में गणना कराने का अधिकार तब तक पुनः प्रवर्तित नहीं होगा जब तक कि पूरी रकम लौटा न दी गई हो। (5) ऐसे सरकारी सेवक की दशा में, जो उपदान को लौटा देने का निर्वाचन करके पूरी रकम लौटा देने से पहले ही मर जाए, उपदान की वह रकम जो लौटाने से रह गई है उस मृत्यु-तथा-सेवानिवृति उपदान मर्दै समायोजित कर दी जाएगी जो उसके कुटुंब को संदेय हो जाए।

 

23. प्रशिक्षण पर व्यतीत की गई अवधियों की गणनाः-

 

रेल मंत्रालय आदेश द्वारा, यह विनिश्चित कर सकेगा कि रेल प्रशासन के अधीन सेवा में उसकी नियुक्ति से ठीक पूर्व रेल सेवक द्वारा प्रशिक्षण में व्यतीत की गई अवधि की गणना अर्हक सेवा के रूप में की जाएगी या नहीं।

 

24. बहाली पर विगत सेवा की गणनाः

 

(1) ऐसा रेल सेवक जो सेवा से पदच्युत कर दिया गया है, हटा दिया गया है अथवा अनिवार्य रूप से सेवानिवृत्त कर दिया गया है, किंतु अपील पर अथवा पुनर्विलोकन पर बहाल कर दिया गया है अपनी विगत सेवा की गणना अर्हक सेवा के रूप में कराने का हकदार है।

 

(2) यथास्थिति पदच्युति हटाए जाने या अनिवार्य सेवानिवृत्ति की तारीख तथा बहाली की तारीख के बीच सेवा में जितनी अवधि का व्यवधान हुआ है, उस अवधि और निलंबन की यदि कोई हो अवधि की गणना तब तक अर्हक सेवा के रूप में नहीं की जाएगी जब तक उसे उस प्राधिकारी के जिसने बहाली का आदेश पारित किया था, किसी विनिर्दिष्ट आदेश द्वारा कर्तव्य अथवा छुट्टी के रूप में विनियमित नहीं कर दिया जाता।

 

25. पदच्युति अथवा हटा दिए जाने पर सेवा का सभपहरणः-

 

रेल सेवक के किसी सेवा या पद से पदच्युत किए जाने अथवा हटा दिए जाने से उसकी विगत सेवा समपद्यत हो जाएगी।

26. पदत्याग करने पर सेवा का समपहरणः

 

(1) रेल सेवक द्वारा सेवा या पद से पदत्याग करने से उसकी विगत सेवा, जब तक कि नियुक्ति प्राधिकारी द्वारा लोकहित मैं उसे वापस लेने की अनुज्ञा नहीं दे दी जाती, समपहत हो जाएगी।

 

(2) पदत्याग से विगत सेवा का समपहरण नहीं होगा यदि ऐसा पदत्याग समुचित अनुजा से, सरकार के अधीन कोई अन्य नियुक्ति, घाहे वह सरकार के अधीन अस्थायी हो या स्थायी, वहां जहां सेवा पेंशन के लिए अर्हक होती हो, ग्रहण करने के लिए किया गया है।

 

(3) उपनियम (2) के अधीन आने वाले किसी मामले में सेवा का व्यवधान, जो दो नियुक्तियों के दो विभिन्न स्थानों पर होने के कारण हुआ हो और स्थानांतरण के नियमों के अधीन अनुजेय कार्यभार ग्रहण करने की अवधि से अधिक का न हो, रेनल सेवक को उसके कार्यभार छोड़ने की तारीख को बाकी किसी भी प्रकार की छुट्टी देकर या उस सीमा तक उसे औपचारिक रूप से माफ करके जिस सीमा तक वह अवधि सरकारी सेवक की बाकी छुट्टी से पूरी न होती हो, दूर कर दिया आएगा।

 

(4) नियुक्ति प्राधिकारी निम्नलिखित शर्तों पर लोकहित में किसी व्यक्ति को अपना त्यागपत्र वापिस लेने के लिए अनुज्ञात कर सकेगा, अर्थात्ः-

 

(i) यह कि त्यागपत्र रेल सेवक द्वारा कुछ ऐसे विवशतापूर्ण कारणों से दिया गया था जो उसकी सत्यनिष्ठा, दक्षता या आचरण पर कोई प्रभाव नहीं डालता और त्यागपत्र की वापसी के लिए प्रार्थना उन परिस्थितियों में तात्विक परिवर्तन होने के परिणामस्वरूप की गई है जिनके कारण वह मूलतः त्यागपत्र देने के लिए विवश हुआ था,

 

(ii) यह कि त्यागपत्र प्रभावी होने की तारीख और रेल सेवक को त्यागपत्र वापिस लेने की प्रार्थना की तारीख से बीच की अवधि के दौरान संबंधित व्यक्ति का आचरण किसी भी प्रकार से अनुचित नहीं था।

 

(iii) यह कि त्यागपत्र प्रभावी होने की तारीख और रेल सेवक को त्यागपत्र वापिस लेने की अनुजा के परिणामस्वरूप कार्य पुनः आरम्भ करने के लिए अनुज्ञात तारीख के बीच कार्य से अनुपस्थित रहने की अवधि नब्बे दिन से अधिक नहीं है,

 

(iv) यह कि जो पद रेल सेवक द्वारा अपने त्यागपत्र की स्वीकृति पर रिक्त किया गया था या कोई अन्य समान पद, उपलब्ध है?

 

(5) त्यागपत्र वापिस लेने की प्रार्थना नियुक्ति प्राधिकारी ‌द्वारा उस दशा में स्वीकार नहीं की जाएगी जब रेल सेवक प्राइवेट वाणिज्यिक कम्पनी में या उसके अधीन अथवा ऐसे निगम या कम्पनी में या उसके अधीन, जो पूर्णतः या भारत सरकार के स्वामित्वाधीन या नियंत्रणाधीन है या किसी ऐसे निकाय में या उसके अधीन जो सरकार के नियंत्रणाधीन है या उसके द्वारा वित्तपोषित है, नियुक्ति ग्रहण करने की दृष्टि से अपनी सेवा या पद का त्याग करता है।

 

(6) जहां नियुक्ति प्राधिकारी द्वारा कोई आदेश किसी व्यक्ति को अपना त्यागपत्र वापिस लेने और कर्तव्य पुनः आरंभ करने की अनुजा देते हुए पारित किया जाता है वहां उस आदेश के बारे में यह समझा जाएगा कि उसके अंतर्गत सेवा में व्यवधान को माफ भी है किन्तु उस व्यवधान की अवधि की गणना अर्हक सेवा के रूप में नहीं की जाएगी।

 

(7) नियम 53 के प्रयोजन के लिए प्रस्तुत त्यागपत्र से सरकार या रेल प्रशासन के अधीन विगत सेवा का समपहरण नहीं होगा।

 

27. सेवा में व्यवधान का प्रभाव-

 

(1) रेल सेवक की सेवा में व्यवधान से, निम्नलिखित मामलों के सिवाय, उसकी विगल सेवा समपहत हो जाएगी, अर्थातः-

 

(क) अनुपस्थिति की प्राधिकृत छुट्टी;

 

(ख) अनुपस्थिति की प्राधिकृत छुट्टी के अनुक्रम में अप्राधिकृत अनुपस्थिति जब तक कि अनुपस्थिति व्यक्ति का पद अधिष्ठायी रूप से न भर लिया जाए,

 

(ग) निलंबन, वहां जहां उसके ठीक पश्चात् उसी पद में या किसी भिन्न पद में बहाली की गई हो अथवा वहां जहां रेल सेवक मर जाता है या निलंबित रहते हुए उसे सेवानिवृत्त होने दिया जाता है अथवा

 

अनिवार्य सेवानिवृत्ति की आयु प्राप्त कर लेने पर सेवानिवृत्त कर दिया जाता है,

 

(घ) सरकार के नियंत्रणाधीन किसी स्थापन में किसी अनर्हक सेवा में स्थानांतरण यदि ऐसे स्थानांतरण का आदेश सक्षम प्राधिकारी ने लोकहित में दिया हो;

 

(ङ) कार्य-ग्रहण अवधि जब वह एक पद से दूसरे पद पर स्थानांतरण पर हो।

 

(2) उपनियम (1) में किसी बात के होते हुए भी, नियुक्ति प्राधिकारी आदेश द्वारा, बिना छुट्टी की अनुपस्थिति अवधियों को असाधारण छुष्ड्डी के रूप में भूतलक्षी प्रभाव से परिवर्तित कर सकेगा।

 

28. माफ किए गए सेवा में व्यवधान को भविष्य निधि में विशेष अभिदाय के लिए क्या माना जाए:-

 

भविष्य निधि में विशेष अभिदाय के प्रयोजनों के लिए 22 जून, 1961 के पूर्व माफ किया गया सेवा में कोई व्यवधान पैशन संबंधी फायदों के प्रयोजन के लिए भी माफ किया गया समझा जाएगा, परंतु यह तब जब-

 

(1) रेल सेवक, जिसने सेवा में व्यवधान के पूर्व की गई सेवा की अवधि के लिए उसके द्वारा प्राप्त उपदान (भविष्य निधि में विशेष अभिदाय या सरकारी अभिदाय या दोनों) की रकम का प्रतिदाय नहीं किया है, उस रकम का सरकार को प्रतिदाय कर देता है, उस रकम पर कोई ब्याज उस अवधि के लिए वसूल न किया जाए जिसके दौरान वह रकम उसके पास रही थी,

 

(ii) (क) प्रतिदाय करने का आशय रेल सेवक द्वारा लिखित रूप में लेखा अधिकारी को, अधिष्ठायी पद में अपनी पुष्टि के आदेशों के जारी होने की तारीख से छह मास के पश्चात् या यदि वह छुट्टी पर है तो उसके छुट्टी से लौटने के छह मास के भीतर बता दिया था,

 

(ख) प्रतिदाय संख्या में बारह से अनधिक किस्तों में जो कि उस प्राधिकारी दद्वारा विनिर्दिष्ट की जाएगी जो सेवा में व्यवधान का माफ करेगा, किया जाएगा,

 

(ग) पूर्ववर्ती सेवा की गणना का अधिकारी तब तक पुनः प्रवर्तित नहीं होगा जब तक संपूर्ण रकम का पूरी तरह प्रतिदाय नहीं कर दिया जाए।

 

29. अठारह वर्ष की सेवा के पश्चात् अथवा सेवानिवृत्ति के पांच वर्ष पूर्व अर्हक सेवा का सत्यापनः-

(1) जहां कि कोई रेल सेवक सेवा के पच्चीस वर्ष पूरे कर लेता है या सेवानिवृत्ति की तारीख के पूर्व उसके पास सेवा के पांच वर्ष रह जाते हैं, इनमें से जो भी पूर्वतर हो, वहां राजपत्रित रेल सेवक की दशा में संबद्ध लेखा परीक्षा अधिकारी या अराजपत्रित रेल सेवा की दशा में संबद्ध लेखा परीक्षा अधिकारी से परामर्श करके कार्यालय अध्यक्ष, तत्समय प्रवृत्त नियमों के अनुसार उस सेवा का जो ऐसे रेल सेवक द्वारा की गई हो, सत्यापन करेगा, अर्हक सेवा का अवधारण करेगा, इस प्रकार अवधारित अर्हक सेवा की अवधि उसे प्रारूप-15 में संसूचित करेगा।

(प्राधिकारः रेलवे बोर्ड का दिनांक 23.09.2013 का पत्र सं. 2011/एफ (ई) ।।।/1 (1)9 और फाइल सं. 2015/एफ (ई) ।।।/1 (1) 4 दिनांक 17.06.2016 आरबी सं.70)

(1क) सेवा के सत्यापन के प्रयोजनार्थ कार्यालय अध्यक्ष नियम (79) के उप-नियम (1) के खंड (क) में निर्धारित प्रक्रिया का अनुपालन करेंगे।

(प्राधिकारः फाइल सं. 2015/एफ (ई) 111/1 (1) 4 दिनांक 17.06.2016 .... आरबी सं.70)

(2) उप-नियम (1) में किसी बात के होते हुए भी, जहां कोई रेल सेवक किसी अस्थायी विभाग से या उस विभाग के जहां वह पहले सेवा कर रहा था, बंद हो जाने के कारण या जो पद वह धारित कर रहा था उसके फालतू घोषित कर दिए जाने के कारण वह किसी अन्य विभाग में अंतरित किया जाता है, वहां उसकी सेवा का सत्यापन तब किया जाए जब ऐसी घटना घटित हो।

(3) उप-नियम (1) और उपनियम (2) में किया गया सत्यापन अंतिम समझा जाएगा और उस पर तब तक पुनः विचार नहीं किया जाएगा जब तक उन नियमों और आदेशों में तत्पश्चात् कोई परिवर्तन करना आवश्यक न हुआ हो जो उन शर्तों को शासित करते हैं जिनके अधीन सेवा पेंशन के लिए अर्हक होती है।

 

(जी. प्रिया सुदर्शनी)

निदेशक वित्त (स्थापना)

रेलवे बोर्ड